श्री कृष्ण जन्माष्ट्मी 2018 का शुभ मुहूर्त और शुभ समय और व्रत का दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत
इस बार यह व्रत गृहस्थियों के लिए दो सितंबर रविवार को मनाया जाएगा।
#इस दिन ही चंद्रोदय के समय अष्टमी व रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने से सर्वश्रेष्ठ योग बन रहा है।
दिल्ली/हरियाणा के आसपास चंद्र उदय रात 11:20 तक हो जाएगा।
#जयन्ती योग
इस दिन रोहिणी नक्षत्र +अष्टमी+चंद्र उदय तीनों का संयोग होने से अद्भुत #जयन्तीयोग भी बन रहा है। इसका फल “विष्णु रहस्य” के अनुसार —
अष्टमी कृष्णपक्षस्य रोहिणीऋक्षसंयुता। भवेत्प्रौष्ठपदे मासि जयंती नाम सा स्मृता।
अर्थात भाद्रपद महीना में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो वह जयंती योग के नाम से जानी जाती है। यह दिन तथा योग अत्यंत शुभ मानी जाती है। जयंती योग में यदि आपके घर में पुत्र का जन्म होता है तो वह भगवान श्री कृष्णजी जैसा होगा क्योकि इसी योग में श्रीकृष्णजी का जन्म हुआ था। वह परिवार तथा समाज में प्रतिष्ठित होगा, एक नई मिशाल कायम करेगा। वह अनेको में एक होगा। कहा भी गया है वरं एको गुणी पुत्रों मूर्खो शतान्यपि अर्थात सैकड़ो मुर्ख पुत्र से अच्छा एक ही गुणी पुत्र हो वस्तुतः यह बालक सर्वगुण सम्पन्न लब्धप्रतिष्ठित विद्वान होगा।
#चंद्र उदय के समय अष्टमी हो यह इस व्रत की पहली शर्त है।जो 2.9.18 तारीख को ही पूर्ण हो रही है।
ध्यान दें--- हर व्रत का एक पर्वकाल होता है।वह जिसमें हो वही तिथि तत्काल में मान्य है। सूर्योदय कालिक नहीं।ऐसा अनेक व्रतों में होता है।
१. तिथि+चंद्रोदय (चंद्रोदय से जुड़े पर्व में)
२. तिथि+सूर्योदय( सूर्योदय से जुड़े पर्व में)
३.तिथि+प्रदोषकाल ( प्रदोषकालीन व्रत में)
४.तिथि+निशीथ काल ( निशीथ पर्व में)
५. तिथि+महानिशा काल( तंत्र की साधना में)
यह पर्व का आधार होता है।
#ध्यान दें ,#सावधान!!!
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत 2 सितंबर को ही शास्त्रानुसार मान्य है। क्योंकि इसी दिन रोहिणी नक्षत्र व अष्टमी का संयोग रात्रिकाल में है।
इस व्रत का यही नियम होता है कि जिस रात्रि को अष्टमी में चंद्रोदय हो उसी दिन यह व्रत गृहस्थ लोग मनाएं। मथुरादि में
अगले दिन जन्मोत्सव मनाया जाता है ।सब जगह जन्मोत्सव व झूला उत्सव अगले दिन ही मनाया जाता है। संन्यासियों का व्रत अगले दिन ही होगा।
#सब विद्वानों से अनुरोध है कि अपने आस-पड़ोस में गृहस्थों को बताएं कि व्रत 2 सितंबर को ही रखें। तथा आसपास के मंदिर के पूजारी को कहें कि मंदिर 2 सितंबर को भी सजाएं।
यदि कोई #पंडित आपको 3 सितम्बर को व्रत रखने की कहता है तो वह शास्त्रापराधी और मनमाना आचरण करने वाला है।उसका विरोध करें व उससे इसका जवाब मांगें।
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